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डीईएसडब्ल्यू के बारे में

भूतपूर्व सैनिकों (ईएसएम) और उनकी विधवाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सेना मुख्यालयों और विभिन्न संघों द्वारा ईएसएम, युद्ध विधवाओं और उनके आश्रितों के कल्याण और पुनर्वास की देखरेख करने के लिए एक अलग विभाग बनाने की लगातार मांग की जा रही थी। वर्ष 1986 में, रक्षा विभाग में एक स्वतंत्र पुनर्वास प्रभाग बनाने का निर्णय लिया गया था।

ईएसएम के कल्याण और पुनर्वास पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए 22 सितंबर 2004 को रक्षा मंत्रालय में एक नया भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (डीईएसडब्ल्यू) बनाया गया। डीईएसडब्ल्यू, देश में भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास के लिए विभिन्न तरह की नीतियां और कार्यक्रम बनाने और उनका क्रियान्वयन करने के लिए अधिदेशित है। इस विभाग में दो प्रभाग अर्थात (i) पेंशन प्रभाग और (ii) पुनर्वास प्रभाग हैं। भूतपूर्व सैनिक विभाग का पेंशन प्रभाग सैन्य बल कार्मिकों के लिए पेंशन नीतियों और भूतपूर्व सैनिकों की शिकायतों के निवारण से संबंधित है जबकि पुनर्वास प्रभाग शेष मामलों की देखरेख करता है। इसके अलावा डीईएसडब्ल्यू के तीन संबद्ध कार्यालय नामतः केन्द्रीय सैनिक बोर्ड सचिवालय (केएसबी सचिवालय), पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) और केन्द्रीय संगठन, भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (सीओ, ईसीएचएस) हैं।

केएसबी सचिवालय भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याण तथा कल्याण निधियों के प्रशासन के लिए भी उत्तरदायी है। 34 राज्य सैनिक बोर्ड (आरएसबी) और 410 जिला सैनिक बोर्ड (जेडएसबी) इसके कार्य में सहयोग करते हैं जो कि संबंधित राज्य सरकारों/ संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं। भारत सरकार की अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश राज्यों के संबंध में राज्य सैनिक बोर्डों/ जिला सैनिक बोर्डों के रखरखाव पर हुए व्यय में 75% और अन्य राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में 60% हिस्सेदारी है जबकि शेष व्यय संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है।

पुनर्वास महानिदेशालय का कार्यालय भूतपूर्व सैनिकों के सेवानिवृत्ति से पूर्व और उसके पश्चात प्रशिक्षण पुनः रोजगार, स्वरोजगार हेतु विभिन्न नीतियों/ स्कीमों/ कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करता है। ऊधमपुर, चंडीमंदिर, लखनऊ, कोलकाता और पुणे में सेना कमान मुख्यालयों के साथ सह-स्थित 5 निदेशालय पुनर्वास जोन (डीआरजेड) डीजीआर के कार्य में सहायता करते हैं।

केन्द्रीय संगठन, भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना पूरे देश में 427 पॉलीक्लीनिकों के नेटवर्क के जरिए भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की स्वास्थ्य देखरेख और चिकित्सा आवश्यकताओं की देखरेख करता है।